हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस रिवायत को "कामिल अल-ज़ियारत" पुस्तक में लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
عنْ شِهَابٍ عَنْ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ ع قَالَ:
سَأَلَنِی فَقَالَ یَا شِهَابُ کَمْ حَجَجْتَ مِنْ حِجَّةٍ- فَقُلْتُ تِسْعَةَ عَشَرَ حِجَّةً. فَقَالَ لِی تَمِّمْهَا عِشْرِینَ حِجَّةً، تُحْسَبْ لَکَ بِزِیَارَةِ الْحُسَیْنِ (ع)
श्हाब ने हज़रत इमाम सादिक़ (अ) के बारे में बताया है कि आप (अ) ने एक अनुयायी से पूछा, "आप कितनी बार हज पर गये हैं?" उन्होंने कहाः उन्नीस हज। इमाम (अ) ने कहाः इन हजों को बीस तक पोहचाओ ताकि इमाम हुसैन (अ) की जियारत का सवाब तुम्हारे कर्मों की किताब में एक बार लिखा जाये।
कामिल अल ज़ियारत, पेज 162